आलोचना >> पाश्चात्य साहित्य चिंतन पाश्चात्य साहित्य चिंतननिर्मला जैनकुसुम भंथिया
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सभी महत्वपूर्ण विचारकों और प्रवृत्तियों का प्रमाणिक विवेचन इस रचना की विशेषता है
पश्चिम में साहित्य-चिंतन की सुदीर्घ परंपरा को हिंदी के पाठकों के लिए प्रमाणिक और सहज ग्राह्य रूप में सुलभ कराने की दिशा में प्रस्तुत ग्रन्थ एक महत्त्पूर्ण प्रयास है। प्लेटो से बीसवीं शताब्दी तक पाश्चात्य काव्य-चिंतन में योगदान देनेवाले सभी महत्वपूर्ण विचारकों और प्रवृत्तियों का प्रमाणिक विवेचन इस रचना की विशेषता है; अकादमिक अनुशासन से एक साथ युक्त और मुक्त विश्लेषण-पद्दति इसका प्रमुख आकर्षण है। ग्रन्थ की सामग्री का आधार मूल स्रोत है। बकौल प्लेटो : सत्य के अनुकरण का अनुकरण ग्रन्थ की विश्वसनीयता तथा लेखिका की प्रतिबद्धता का कारण भी यही है। प्रस्तुत कृति से इस विषय के सुधि पाठकों की बहुत बड़ी आवश्यकता की पूर्ति होगी।
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